देश आज जिस मार्ग पर गमन कर रहा है वह सच में भयावह है । पहले CAA पर एक भ्रामक सूचनाएँ फैलाकर जनता को भ्रमित करने का दुस्साहस, कृषि क़ानून पर भी कुछ हद तक ऐसा ही स्वरूप नज़र आया और अब सरकार ने जैसे ही अग्निपथ योजना का ऐलान किया वैसे ही सड़कों पर धू धू कर जल रहे ट्रक, बस और रेल जैसे अन्य सार्वजनिक साधनों का भीषण नज़ारा देश देख रहा है । कहीं सड़कों पर आंदोलन के नाम पर उपद्रव किया जा रहा है तो कहीं अग्निपथ योजना को वापस नहीं लिए जाने पर आतंकी बनने की खुलेआम धमकी दी जा रही है । इनकी एक बात और गौर करने लायक़ है कि इस उपद्रव में वे ही लोग अधिकतर शामिल हैं जिनका इस योजना के आयु मानक (Age Criteria) से कोई मेल जोल नहीं है ।
🚨 #Breaking l #पटना के पास मसौढी में पुलिस चौकी को उपद्रवियों ने आग के हवाले किया.
— Pranjal Mishra 🇮🇳 (@PranjalmishraIN) June 18, 2022
क्या ये उपद्रवी #Army Apirant हो सकते हैं ?#AgnipathScheme #Agnipath #AgnipathProtests
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आप यह निश्चित ही सोच रहे होंगे कि आख़िर देश की सेवा करने की इच्छा रखनेवाले देश को नुक़सान पहुँचाने की सोचेंगे क्या ? देश के सार्वजनिक संसाधनों को जलाएँगे क्या ? तोड़फोड़ करेंगे क्या ? मेरा स्पष्ट मानना है कि नहीं ये वो नहीं हैं जिन्हें सेना में जाना है बल्कि ये वो हैं जिन्हें मात्र देश के सौहार्द को बिगाड़ना है ।
आपको मैं बताना चाहता हूँ कि इस अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ कुछ ऐसे संगठनों ने आंदोलन पुकारा है जिनके हाथ बहुत से हिंसक गतिविधियों में पाए गए हैं और एक संगठन तो ऐसा है जिसके लोगों ने JNU में सेना का अपमान भी किया है । अब आप ही सोचिए, ऐसे संगठन युवाओं के हित की बात करेंगे या हिंसा और द्वेष हित की ?
आज ही स्वयंघोषित किसान नेता राकेश टिकैत ने अग्निपथ आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा है कि उनका संगठन 30 जून को देशव्यापी आंदोलन करेगा । दूसरी ओर देश का विपक्ष भी इस आंदोलन को समर्थन कर रहा है और यह ग़लत भी नहीं है लेकिन ग़लत तब होता है जब किसी भी विपक्षी या सरकार विरोधी संगठन ने हिंसा का विरोध नहीं किया और अहिंसक आंदोलन करने की अपील नहीं की और यह सब सोचने के बाद ज्ञात होता है कि यह आंदोलन नहीं यह योजनाबद्ध तरीक़े से किया गया उपद्रव है ।
सबसे ज़्यादा हिंसा यदि कहीं नज़र आयी तो वो बिहार व यूपी में लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस हिंसा के ख़िलाफ़ किसी भी प्रकार का कदम उठते नहीं दिख रहा और पंजाब में पंजाब लोक कांग्रेस के मुखिया, पूर्व मुख्यमंत्री कॅप्टन अमरिंदर सिंह भी इस योजना से सहमत नहीं हैं साथ ही कुछ लोगों का कहना है कि इस उपद्रव के पीछे बिहार में शायद लेफ़्ट और यूपी में सपा का हाथ है ।
कहीं न कहीं भाजपा ने इस योजना के प्रचार प्रसार करने में भी कोताही की है और सरकार को युवाओं के साथ End to End संवाद करना चाहिए था जिससे इस विषय पर लोग और भी अच्छे से सहमत हो जाते ।
ख़ैर ! इस Blog को आपके समक्ष पेश करने का हेतु मात्र यह था कि आरोप - प्रत्यारोप, आंदोलन हो या विचारधारा का विरोध सब लोकतंत्र में जायज़ तो है लेकिन यदि इस प्रवृत्ति के लोगों को आप आंदोलक के तौर पर देख रहे हैं तो आपके वैचारिक चश्मे का नंबर बेशक बढ़ गया है ।
ये सभी आंदोलक नहीं केवल और केवल उपद्रवी हैं जो राजनैतिक षड्यंत्र की बलि चढ़ रहे हैं ।
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